मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक मान्यताएँ

Authors

  • डॉ. प्रवेश कुमारी सहायक प्रोफेसर, टीकाराम गर्ल्स कॉलेज, सोनीपत (हरियाणा)

Keywords:

सामाजिक चेतना, मध्यवर्गीय समाज, समाज सामाजिक बुराईयाँ

Abstract

मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज हमारे आपके जीवन की प्रतिध्वनि होता है। समाज अत्यन्त व्यापक और उसकी समस्याएँ और भी अधिक व्यापक है। सारी चेतना भी व्यक्ति विशेष की न होकर एक ही काल में अनेक व्यक्तियों या समुदाय, समाज राष्ट्र या सम्पूर्ण मानव जाति की सम्पति ही सामुदायिक चेतना है।किसी देश व काल विशेष से संबंधित मानव समाज में अभिव्यक्ति परिवर्तनशील जागृति से समाज के साथ और उसके राजनीति, अर्थशास्त्र, धर्म संस्कृति आदि के परस्पर संबंध का अवलोकन कर लेना ही संक्षेप में काल विशेष में समाज में सुधार के लिए किए गए प्रयास ही सामाजिक चेतना के अर्न्तगत आते यह चेतना प्रेमचन्द्र के साहित्य में स्वतः परिलक्षित है।

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Published

2022-06-30

How to Cite

डॉ. प्रवेश कुमारी. (2022). मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक मान्यताएँ. Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 11(1), 203–205. Retrieved from https://www.eduzonejournal.com/index.php/eiprmj/article/view/180