महिला सशक्तिकरण में कौशल विकास की भूमिका

Authors

  • डॉ० पुष्पांजलि पाल, मनोज कुमार

Keywords:

कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण, आर्थिक विकास, समावेशी विकास, रोजगार.

Abstract

सशक्तिकरण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जागरूकता कार्यशीलता, बेहतर नियंत्रण के लिए प्रयास के द्वारा व्यक्ति अपने विषय में निर्णय लेने के लिए समर्थ एवं स्वतंत्र होता है. इस दृष्टि से देखे तो नारी का सशक्तिकरण एक सर्वांगीण व बहुआयामी दृष्टीकोण है. यह राष्ट्र निर्माण की मुख्यधारा में महिलाओं की प्रयाप्त व सक्रिय भागीदारी में विश्वास रखता है, एक देश के तीव्र आर्थिक विकास के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना अति आवश्यक है. महिलाओं के सन्दर्भ में कौशलपूर्ण बनाने का अर्थ महिलाओं को रोजगार प्रदान करना ही नहीं होना चाहिए बल्कि उनके द्वारा प्राप्त कौशलों में गुणात्मक सुधार कर उनके कार्य प्रदर्शन को बेहतर तथा उत्पादक बनाना है कौशल विकास महिलाओं के लिए रोजगार तो सुनिश्चित करता ही है साथ ही साथ उनकी आर्थिक स्थिति को भी सशक्त करता है. भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ कार्य शक्ति में महिलाओं की भागीदारी की निम्न दर एवं लैंगिक असमानता जैसी समस्यायें वर्तमान में भी विद्यमान है एवं एक चिंता का विषय है. महिलाओं को कौशलपूर्ण एवं उन्हें सशक्त बना कर इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.

इस शोध पत्र के द्वारा कौशल विकास एवं महिलाओं के सशक्तिकरण के पारस्परिक सम्बन्धों एवं कौशल विकास की आवश्यकता को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है.

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Published

2023-02-10

How to Cite

डॉ० पुष्पांजलि पाल, मनोज कुमार. (2023). महिला सशक्तिकरण में कौशल विकास की भूमिका. Eduzone: International Peer Reviewed/Refereed Multidisciplinary Journal, 12(1), 69–72. Retrieved from https://www.eduzonejournal.com/index.php/eiprmj/article/view/255